राजस्थान में पर्यटन सर्किट / परिपथ | Tourism / ParytanCircuit In Rajasthan
राजस्थान में पर्यटन विकास को बढ़ावा देने के लिए 1956 में पर्यटन विभाग की स्थापना की गई थी। राजस्थान में पर्यटन ( Tourism Circuit ) को विकास हेतू 10 सर्किट या परिपथ में बांटा जा सकता है। पर्यटन की दृष्टि से राजस्थान को अच्छा राज्य माना जाता है। इस लेख में राजस्थान के प्रमुख पर्यटन सर्किट के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया गया है।
राजस्थान पर्यटन विकास निगम लिमिटेड की स्थापना 1978 में की गई थी लेकिन इसने अपना कार्य 1 अप्रैल 1979 से प्रारंभ किया था। आरटीडीसी ( R. T. D. C.) का मुख्यालय जयपुर में है। राजस्थान में पर्यटन विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय उदयपुर में जोधपुर जिले में स्थित हैं।
आज इस लेख में राजस्थान के प्रमुख पर्यटन सर्किट या परिपथ के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। राजस्थान को पर्यटन सर्किट की दृष्टि से 10 भागों में बांटा गया है। राजस्थान का पर्यटन उद्योग काफी लोकप्रिय है।
राजस्थान में पर्यटन सर्किट |
राजस्थान में पर्यटन सर्किट या परिपथ
1. मेवाड़ सर्किट - इसके अंतर्गत कुंभलगढ़ - कांकरोली - नाथद्वारा - उदयपुर और चित्तौड़गढ़ जिले के क्षेत्र सम्मिलित हैं।
2. मरू सर्किट - यह मरू त्रिकोण के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि पूर्व में इसमें जैसलमेर- जोधपुर -बीकानेर ये तीन ही जिले सम्मिलित थे जो मरू प्रदेश से संबंधित हैं। अब इसमें बाड़मेर जिले को भी सम्मिलित कर लिया गया है। बाड़मेर में थार महोत्सव मनाया जाता है।
जैसलमेर में मरु महोत्सव का आयोजन किया जाता है। जोधपुर में मारवाड़ महोत्सव का आयोजन होता है। बीकानेर में ऊंट महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
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4.ढूंढाड़ सर्किट - यह जयपुर और दौसा जिले से संबंधित है। इस परिपथ में जयपुर के हवामहल - सामोद -आमेर - रामगढ़ -जयपुर और दौसा के आभानेरी क्षेत्र को सम्मिलित किया गया है।
5. हाड़ौती सर्किट - कोटा - बूंदी - बारां - झालावाड़ के क्षेत्र सम्मिलित हैं।
6.मेरवाड़ा सर्किट - सर्किट के अंतर्गत पुष्कर - अजमेर - नागौर और मेड़ता के क्षेत्र सम्मिलित हैं।
7. भरतपुर सर्किट -राजस्थान की इस पर्यटन सर्किट में डीग - भरतपुर - धौलपुर - करौली के क्षेत्र को सम्मिलित किया गया है।
8.अलवर सर्किट - इसके अंतर्गत सरिस्का सिलीसेढ़ और अलवर क्षेत्र को सम्मिलित किया गया है।
9.रणथंभोर सर्किट - इसके अंतर्गत टोंक- रणथंभोर - सवाई माधोपुर क्षेत्र को सम्मिलित किया गया है।
10. माउंट आबू सर्किट - परिपथ के अंतर्गत माउंट आबू पाली और जालौर के क्षेत्र सम्मिलित किए गए हैं।
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पर्यटन विकास को बढ़ावा देने के लिए नए पर्यटन सर्किट भी विकसित किए गए हैं जिनमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सर्किट, तीर्थ सर्किट, कृष्णा सर्किट प्रमुख हैं।
जयपुर - दिल्ली - आगरा को स्वर्णिम त्रिकोण के नाम से भी जाना जाता है । इसमें सरिस्का - बैराठ - मेहंदीपुर बालाजी - घाना पक्षी विहार - जयपुर - आगरा और दिल्ली क्षेत्र को सम्मिलित किया गया है।
तीर्थ सर्किट के अंतर्गत अजमेर के पुष्कर , करौली के महावीर जी तथा राजसमंद के कांकरोली और नाथद्वारा क्षेत्र को सम्मिलित किया गया है।
राजस्थान पर्यटन से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य -
राजस्थान का पहला रोप - वे सुंधा पर्वत (भीनमाल ) जालौर में बनाया गया है।
दूसरा रोप - वे उदयपुर में पंडित दीनदयाल पार्क से करणी माता के मंदिर तक बनाया गया है।
राजस्थान का तीसरा रोप - वे सावित्री माता मंदिर अजमेर में प्रारंभ किया गया है।
राजस्थान में पर्यटन के 4 संभाग हैं जिनमें अजमेर- कोटा -जोधपुर- उदयपुर सम्मिलित हैं।
बुद्धा सर्किट - राजस्थान के जयपुर और झालावाड़ जिले में ऐतिहासिक बौद्ध स्थलों की जानकारी के लिए इसका विकास किया जाएगा।
राजस्थान में पहला हैंगिंग ब्रिज ( झूलता हुआ पुल) का निर्माण चंबल नदी पर कोटा में किया गया है।
राजस्थान पर्यटन का लोगो ( प्रतीक चिन्ह ) "जाने क्या दिख जाए" है।
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आशा है राजस्थान में पर्यटन से संबंधित राजस्थान के प्रमुख पर्यटन सर्किट ( Rajasthan Paryatan Circuit ) या राजस्थान में प्रमुख पर्यटन परिपथ की जानकारी आपको अवश्य पसंद आई है। कृपया यह जानकारी अपने साथी के साथ अवश्य शेयर करें। आप ईमेल नोटिफिकेशन के माध्यम से भी हमारे साथ जुड़ सकते हैं ताकि नवीनतम जानकारी नोटिफिकेशन के माध्यम से आपको मिलती रहे।
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