क्रिया के भेद परिभाषा और उदाहरण | kriya ke bhed paribhasha our udaharan
क्रिया के भेद परिभाषा और उदाहरण की जानकारी व्याकरण ज्ञान के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत आवश्यक है। क्रिया ( Verb ) की परिभाषा क्या है ? क्रिया के भेद ( Types of Verb )और उदाहरण के बारे में जानकारी हिंदी व्याकरण ज्ञान के आवश्यक है।
हिंदी व्याकरण में क्रिया एक प्रमुख बिंदु है। आज क्रिया के भेद परिभाषा और उदाहरण( kriya ke bhed paribhasha our udaharan ) के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
जब वाक्य में किसी कार्य के करने या होने की जानकारी होती है उसे क्रिया कहते हैं। क्रिया से किसी कार्य के करने या होने का बोध होता है। प्रत्येक वाक्य में क्रिया का होना जरूरी होता है।
क्रिया के बिना वाक्य अपना पूर्ण रूप नहीं ले पाता है क्रिया के अभाव में वह वाक्य न होकर वाक्यांश रह जाता है। क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं।
हिंदी व्याकरण में क्रिया एक प्रमुख बिंदु है। आज क्रिया के भेद परिभाषा और उदाहरण( kriya ke bhed paribhasha our udaharan ) के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
क्रिया की परिभाषा | Kriya ki Paribhasha
जब वाक्य में किसी कार्य के करने या होने की जानकारी होती है उसे क्रिया कहते हैं। क्रिया से किसी कार्य के करने या होने का बोध होता है। प्रत्येक वाक्य में क्रिया का होना जरूरी होता है।
क्रिया के बिना वाक्य अपना पूर्ण रूप नहीं ले पाता है क्रिया के अभाव में वह वाक्य न होकर वाक्यांश रह जाता है। क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं।
क्रिया के उदाहरण -
- जैसे- राम विद्यालय जा रहा है।
- मोहन गीत गा रहा है।
- गाड़ी धीरे धीरे चल रही है।
- पक्षी आकाश में उड़ रहे हैं।
- राम पत्र लिखता है।
- राधा खाना खा रही है।
- वह गया।
जानें ⇒ समास के भेद परिभाषा और उदाहरण -
kriya ke bhed paribhasha our udaharanक्रिया के भेद और उदाहरण | Kriya ke Bhed And Udaharanहिंदी व्याकरण में क्रिया के भेद की जानकारी इस प्रकार दी गई है- |
कर्म के आधार पर क्रिया के भेद और उदाहरण - ( Kriya ke bhed our udaharan )
कर्म या अर्थ के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं। कर्म के आधार पर क्रिया के भेद और उदाहरणों के बारे में इस प्रकार से सरल रूप में जानकारी कर सकते हैं।
क्रिया के भेद |
- सकर्मक क्रिया
- अकर्मक क्रिया
सकर्मक क्रिया और उदाहरण -
जब क्रिया का प्रभाव या फल करता पढ़ने पढ़कर कर्म पर पड़े उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। इन क्रियाओं में कर्म का होना आवश्यक है।
- जैसे-
- बालक दूध पीता है।
- मोहन विद्यालय जाता है।
- सीता फल खाती है।
- रमेश घर जाता है।
- सुरेश गीत गाता है।
सकर्मक क्रियाओं की पहचान के लिए क्रिया के साथ किसको जोड़कर उत्तर प्राप्त किया जाता है अगर किसको का उत्तर प्राप्त हो जाता है तो वाक्य में वहां सकर्मक क्रिया होती है।
जैसे- राम दूध पीता है। वाक्य में क्रिया के साथ किसको का प्रयोग करने पर हमारा प्रश्न बनता है किसको पीता है तो उत्तर प्राप्त होता है दूध अतः वाक्य में सकर्मक क्रिया का प्रयोग हुआ है।
अकर्मक क्रिया और उदाहरण -
क्रिया के साथ कोई कर्म प्रयुक्त नहीं होता है तब उसके कार्य का फल कर्त्ता पर ही पड़ता है वहां अकर्मक क्रिया होती है।- जैसे- राम हंसता है।
- मोर नाचता है।
- सीता सोती है।
बालक खेलते हैं। आदि वाक्यों में क्रिया का प्रभाव करता पर पड़ रहा है अतः उपर्युक्त वाक्य अकर्मक क्रिया से युक्त हैं।
कुछ उदाहरण और दिए गए हैं-
- जंगल में मोर नाचते हैं।
- पक्षी आकाश में उड़ते हैं।
- वह पेन से लिखता है।
- गंगा हिमालय से निकलती है।
- राम सोता है।
- बालक गेंद से खेलते हैं।
- बदल बरसते हैं।
- वह घोड़े से गिरता है।
- गीता छत पर चढ़ती है।
- बालक तेज दौड़ता है।
उपर्युक्त वाक्यों में कर्म का प्रयोग न होकर क्रिया के साथ अधिकरण कारक, करण कारक, अपादान कारक का प्रयोग हुआ है अतः यह भी अकर्मक क्रिया के उदाहरण हैं।
कुछ अकर्मक क्रिया इस प्रकार हैं-
- डरना
- जीना
- मरना
- सोना
- खेलना
- बरसना
- बैठना उठना
- दौड़ना
- हंसना
- उछलना
- कूदना
- जागना
- ठहरना
- शरमाना, इन क्रियाओं का प्रयोग हमेशा अकर्मक के रूप में होता है।
कुछ ऐसी भी क्रियाएं हैं जिनका सकर्मक तथा अकर्मक दोनों रूपों में प्रयोग होता है।
जैसे- भरना, खुजलाना, लजाना आदि
उदाहरण-
बूंद बूंद से घड़ा भरता है। अकर्मक
नौकर घर पर घड़ा भरता है। सकर्मक
उसका सिर खुजला रहा है। अकर्मक
वह अपने सिर को खुजला रहा है। सकर्मक
सकर्मक क्रिया के भेद -
इस क्रिया के दो भेद होते हैं।
- पूर्ण सकर्मक
- अपूर्ण सकर्मक
संरचना की दृष्टि से क्रिया के भेद -
संरचना की दृष्टि से क्रिया के अन्य भेद और उदाहरणों के बारे में इस प्रकार से समझ सकते हैं।
संयुक्त क्रिया -
जब दो या दो से अधिक क्रिया मिलकर किसी पूर्ण क्रिया को बनाती हैं तब वे संयुक्त क्रियाएं कहलाती हैं संयुक्त क्रिया मुख्य तथा गुण क्रिया के योग से बनती है और अर्थ में भी नवीनता प्रकट करती है।उदाहरण -
- वह जा चुका है।
- राम घर जा चुका है।
- मोहन गीत गा चुका है।
- सीता खाना खा चुकी है।
- राम पत्र लिख चुका है।
उपर्युक्त वाक्यों में दो क्रियाओं के मिलने से पूर्ण क्रिया का निर्माण हुआ है अतः यहां संयुक्त क्रिया का प्रयोग हुआ है।
नामधातु क्रिया-
जो नाम ( संज्ञा विशेषण या सर्वनाम शब्द हों )कभी- कभी धातु के समान प्रयुक्त होते हैं उन्हें नामधातु कहते हैं। और उनसे बनने वाली क्रियाएं नामधातु क्रिया कहलाती हैं।
उदहारण -
- अपना से अपनाना
- हाथ से हथियाना
- बात से बतियाना
प्रेरणार्थक क्रिया -
किस क्रिया से पता चलता है कि कर्त्ता स्वयं कार्य नहीं करता है बल्कि किसी दूसरे को उसके करने की प्रेरणा देता है उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।
उदाहरण -
- मोहन राम से पत्र लिखवाता है।
- वह नाई से बाल कटवाता है।
- दादा पोते से पैर दबवाता है।
- वह धोबी से कपड़े धुलवाता है।
- राम श्याम से पुस्तक मंगवाता है।
- मालकिन नौकरानी से बच्चे को दूध पिलवाती है।
पूर्वकालिक क्रिया -
जब वाक्य में एक कार्य के समाप्त हो जाने के बाद में दूसरा कार्य किया जाए वहां पूर्वकालिक क्रिया होती है।उदाहरण -
- मोहन खाना खाकर सो गया।
- सुरेश बाजार जाकर आ गया।
- वह घर आकर रोने लगा।
- राधा उठकर चलने लगी।
आज्ञार्थक क्रिया -
जिस क्रिया से आज्ञा प्रार्थना या अनुमति आदि का बोध होता है उसे आज्ञार्थक या विधि क्रिया कहते हैं।
उदाहरण -
- तुम पढ़ो।
- बड़ों का सम्मान करना चाहिए।
- आप जाओ।
- माता पिता की सेवा करनी चाहिए।
- आपको भी मेरी बात माननी चाहिए।
तो इस प्रकार आज हमने हिंदी व्याकरण ज्ञान में क्रिया के भेद परिभाषा और उदाहरण और उसके अन्य भेदों की उदाहरण सहित जानकारी प्राप्त की है। अगर आप को और अधिक जानकारी प्राप्त करनी है तो हमें कमेंट करके अवश्य बताएं।
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