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22 जून 2020

राजस्थान में राष्ट्रीय पार्क और वन्यजीव अभयारण्य I Rajgktopic

राजस्थान में राष्ट्रीय पार्क और वन्य जीव अभयारण्य - 


         राजस्थान में राष्ट्रीय उद्यान और वन्य जीव अभयारण्य  पशु - पक्षियों  के शरण - स्थल हैं। केंद्र सरकार द्वारा स्थापित पशु -पक्षियों की   शरण स्थली राष्ट्रीय उद्यान ( National Park ) तथा राज्य सरकारों द्वारा स्थापित स्थल अभयारण्य कहलाते हैं। पशु पक्षियों की शरण स्थली तथा उनके जीवन यापन का प्रमुख स्थल अभयारण्य ही होते हैं।


राजस्थान पर्यावरण नीति बनाने वाला देश का पहला राज्य है। राजस्थान वन्यजीवों की संख्या की दृष्टि से असम(असोम) के बाद देश में दूसरा स्थान रखता है। आज हम राजस्थान में राष्ट्रीय उद्यान व वन्यजीव अभयारण्य बिंदु के बारें में जानकारी प्राप्त करेंगे। ( Rajasthan National Park and vanay jeev abhyaran )

          प्रारंभ में राष्ट्रीय पार्क एवं  वन्य जीव अभयारण्य राज्य सूची का विषय था लेकिन 1976 के 42 के संविधान संशोधन द्वारा वन्यजीव को समवर्ती सूची का विषय बनाया गया। बाघ परियोजना भारत में 1 अप्रैल 1976 से प्रारंभ हुई थी। 



राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यान  - ( National Park in Rajasthan )


          राजस्थान में राष्ट्रीय पार्कों की संख्या तीन है। राष्ट्रीय पार्क या उद्यानों के साथ - साथ वन्यजीव अभयारण्यों का  पशु - पक्षियों के संरक्षण व  जैव - विविधता को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।  हम राजस्थान के राष्ट्रीय पार्क अर्थात् राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यजीव अभयारण्यों के बारे में विस्तार से इस प्रकार जानकारी प्राप्त करेंगे-



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राजस्थान में राष्ट्रीय पार्क और वन्यजीव अभयारण्य


रणथंभौर राष्ट्रीय पार्क- ( Ranthambore National Park )

               यह राष्ट्रीय उद्यान  सवाई माधोपुर जिले में स्थित है।  यह राजस्थान का प्रथम राष्ट्रीय अभयारण्य और टाइगर प्रोजेक्ट है। 1 नवंबर  1980 को राजस्थान के प्रथम राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया।यह भारत का सबसे छोटा बाघ अभयारण्य है लेकिन फिर भी इसे भारतीय बाघों का घर कहा जाता है।   यह बाघों के लिए प्रसिद्ध है। रणथम्भौर अभयारण्य में सफारी पार्क विकसित किया गया है। जोगी महल राजस्थान के इसी अभयारण्य में स्थित है।

               फोटो ट्रेप पद्धति राजस्थान वन विभाग द्वारा वर्ष 2015 में बाघों की गणना हेतु इस विधि का प्रयोग किया गया। इस राष्ट्रीय पार्क को भारतीय बाघों का घर भी कहा जाता है। वर्तमान में राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान के नाम से जाना जाता है।


देश की सबसे कम क्षेत्रफल की बाघ परियोजना वाला राष्ट्रीय उद्यान है। राज्य में सबसे पहले बाघ बचाओ परियोजना की शुरुआत यहीं से हुई थी। रणथम्भौर राष्ट्रीय  उद्यान में जोगी महल  एवं त्रिनेत्र गणेश जी मंदिर स्थित है। 

केवलादेव राष्ट्रीय पार्क- ( Keoladeo National Park )


                              केवलादेव राष्ट्रीय पार्क को  केवलादेव घना पक्षी विहार के नाम से भी जाना जाता है। यह राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित है। 1981 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। यूनेस्को से 1985 में विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त करने वाला राजस्थान में एकमात्र अभयारण्य है। केवलादेव राष्ट्रीय पार्क भारत के प्रमुख पर्यटन परिपथ सुनहरा त्रिकोण     ( दिल्ली -आगरा-जयपुर ) पर अवस्थित है।


             घना पक्षी अभयारण्य को एशिया की पक्षियों के लिए सबसे बड़ी प्रजनन स्थली के साथ पक्षियों का स्वर्ग भी माना जाता है। इस अभयारण्य में साइबेरियन सारस जो अक्टूबर-नवंबर माह में सर्दियों में समय व्यतीत करने के लिए रूस से आते हैं और फरवरी - मार्च में वापस प्रस्थान कर जाते हैं।

            भारत के प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डॉ. सलीम अली का संबंध इसी अभयारण्य से है।  यह साइबेरियन सारस   ( साइबेरियन क्रेन या सफेद सारस ) के लिए प्रसिद्ध है। इस पक्षी विहार का नाम केवलादेव ( शिव ) मंदिर के नाम पर रखा गया है।

भरतपुर के शासक महाराजा सूरजमल ने यहाँ अजान बाँध का निर्माण करवाया , यह बाँध गम्भीरी एवं बाणगंगा नदी के संगम पर बनाया गया था। इसी  अजान बाँध से अब इस राष्ट्रीय उद्यान को जलापूर्ति होती है। 

मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय पार्क-  ( Mukundra hills National  Park )


                    इसे दर्रा वन्यजीव अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है। यह कोटा जिले में  कोटा -झालावाड़ राजमार्ग पर अवस्थित है। यह गागरोनी तोता के लिए प्रसिद्ध है। इस तोते को हीरामन तथा 'हिंदुओं का आकाश लोचन' भी कहा जाता है। 

दर्रा अभयारण्य एवं जवाहर सागर अभयारण्य को मिलाकर  मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क घोषित किया गया है। मुकुंदरा हिल्स में कोटा -बूंदी -झालावाड़ -चित्तौड़गढ़  जिले का क्षेत्र शामिल है। 9 अप्रैल 2013  को मुकुंदरा हिल्स को टाइगर रिज़र्व  भी घोषित किया गया। 

मरू राष्ट्रीय उद्यान - ( Maru National Park )

                1981 में स्थापित । जैसलमेर जिले में स्थित इस अभयारण्य में सर्वाधिक संख्या में गोडावण पाया जाता है। गोडावण को ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के नाम से भी जाना जाता है। इसे जीवाश्म उद्यान भी कहा जाता है। 

यह राजस्थान का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा अभयारण्य है। आकल वुड फॉसिल पार्क - प्राचीन जीवाश्म की संरक्षण स्थली यहीं है। यह राज्य पक्षी गोडावण तथा राज्य पशु चिंकारा के लिए प्रसिद्ध है।

यह 3162 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। रेगिस्तानी साँपों में पीवणा , कोबरा आदि यहां पाए जाते है। 

राजस्थान के वन्य जीव अभयारण्य -   ( Rajasthan ke vanay jeev abhyaran )

                      वन्यजीव अभयारण्य की राजस्थान में कुल संख्या 26 है। वन्य जीव  अभयारणयों का वर्णन इस प्रकार है। 


सरिस्का अभयारण्य -

       यह राजस्थान के अलवर जिले में नेशनल हाईवे नंबर 8 दिल्ली जयपुर के समीप स्थित है। यह राजस्थान का सबसे छोटा अभयारण्य है। यह अभयारण्य  हरे कबूतरों के लिए प्रसिद्ध है।

चंबल अभयारण्य-

           यह कोटा जिले में स्थित है। यह अभयारण्य घड़ियालों  के लिए प्रसिद्ध है। इसलिए इसे चम्बल घड़ियाल अभयारण्य भी कहा जाता है ।

सीता माता अभ्यारण-

                     राजस्थान के प्रतापगढ़ - चित्तौड़गढ़ जिले में अवस्थित है। सागवान के वृक्ष राजस्थान में एकमात्र इसी अभ्यारण में पाए जाते हैं। यह राजस्थान का सर्वाधिक जैव विविधता वाला अभयारण्य है।

जाखम बांध इस अभयारण्य में स्थित है। जो चौसिंगा हरिण (भेड़ल) के सर्वोत्तम आश्रय स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। यह उड़न गिलहरी के लिए भी प्रसिद्ध है।



यह भी जानें ⇒ राजस्थान प्रदेश सामान्य जानकारी -


तालछापर अभयारण्य-

                 राजस्थान के चुरू जिले के सुजानगढ़ तहसील में स्थित है। कुरंजा पक्षी की शरण स्थली के साथ-साथ काले हिरणों के लिए प्रसिद्ध अभयारण्य है। यह एशिया का सबसे बड़ा कृष्ण मृग अभयारण्य है। 

भैसोलाव एवं दुगोलाव नामक प्राचीन  तलैया इस अभयारण्य में स्थित हैं।

कुंभलगढ़ अभयारण्य -

                      राजसमंद जिले में स्थित है। भेड़ियों की प्रजनन स्थली के साथ-साथ जंगली धूसर मुर्गों के लिए भी प्रसिद्ध अभयारण्य है। इस अभयारण्य में पाए जाने वाला चौसिंगा हिरण घंटेल नाम से जाना जाता है। यह उदयपुर, पाली एवं राजसमंद जिलों में फैला हुआ है। 

गजनेर अभयारण्य -


            बीकानेर जिले में स्थित है । बटबड़ पक्षी के लिए विश्व प्रसिद्ध अभयारण्य है। इस पक्षी को रेत का तीतर व इंपीरियल सेंडगाउज भी कहा जाता है।

सुंधा माता भालू अभ्यारण्य-

       जालोर व सिरोही के बीच जसवंतपुरा क्षेत्र के सुंधा माता में भालूओं का प्रथम अभयारण्य बनाया गया है।

आबू पर्वत अभयारण्य-

    सिरोही जिले में स्थित है। जंगली मुर्गों के लिए प्रसिद्ध है।

नाहरगढ़ अभयारण्य -

   जयपुर जिले में स्थित राजस्थान का प्रथम जैविक उद्यान है। 

जयसमंद अभयारण्य - 

उदयपुर जिले में स्थित बघेरों के लिए प्रसिद्ध है।

अन्य  वन्यजीव अभयारण्य - 


- बस्सी अभयारण्य चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है।

-  शेरगढ़ अभयारण्य -   बारां  जिले में स्थित है ।

- फुलवारी की नाल अभयारण्य उदयपुर जिले में स्थित है।

- सज्जनगढ़ अभयारण्य उदयपुर जिले में स्थित राजस्थान का सबसे छोटा अभयारण्य है।

- बंध बारेठा अभयारण्य - ( बयाना )  भरतपुर जिले में स्थित है। यहां जरख पाए जाते हैं।

- कनक सागर अभयारण्य बूंदी जिले के दुगारी नामक स्थल पर अवस्थित है।

- रामगढ़ विषधारी अभयारण्य -  

       बूंदी जिले में स्थित है। यह राज्य का एकमात्र ऐसा अभयारण्य है जिसमें बाघ परियोजना न होने के बावजूद भी बाघ विचरण करते हैं। 

- रामसागर वन्यजीव अभयारण्य धौलपुर जिले में स्थित है।

- राजस्थान के उदयपुर जिले में सबसे अधिक संख्या में वन्यजीव अभयारण्य है।

- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन द्वारा भारत यात्रा के दौरान रणथम्भौर राष्ट्रीय पार्क की यात्रा की गई थी।

- भारत में बाघ परियोजना का जन्मदाता कैलाश सांखला को माना जाता है।

- राजस्थान में पहला मत्स्य अभयारण्य उदयपुर में बनाया गया है।

- नाहरगढ़ जयपुर यहां राज्य का पहला बियर ( भालू बचाव केंद्र ) रेस्क्यू सेंटर स्थापित हुआ है।

- राजस्थान का सबसे ऊंचा बांध - ( जाखम बांध ) सीता माता अभ्यारण में स्थित है।

- डूंडलोद (झुंझुनू) में राज्य का पहला गर्दभ (गधा) अभयारण्य स्थापित किया गया है।

- आकल लकड़ी जीवाश्म पार्क राजस्थान के जैसलमेर में स्थित है।

- माचिया सफारी पार्क  - जोधपुर जिले में स्थित है। यह राजस्थान का मृगवन कहलाने वाला देश का प्रथम राष्ट्रीय वानस्पतिक उद्यान है।

- अमृता देवी मृगवन जोधपुर जिले के खेजड़ली ग्राम में स्थित है।

- राजस्थान के जैसलमेर जिले में पाया जाने वाला गोडावण पक्षी कई नामों से जाना जाता है। स्थानीय भाषा में मालमोरड़ी भी कहा जाता है। इसे शर्मिला पक्षी , सोहन चिड़िया आदि नामों से भी जाना जाता है। 

- छत्रविलास उद्यान कोटा जिले में महाराव उम्मेद सिंह ने बनवाया था।

- रामबाग - यह जयपुर में स्थित है। इस बाग को केसर-बड़ारण का बाग  भी कहते हैं।

- जोधपुर जिले में सर्वाधिक आखेट निषेध क्षेत्र स्थित है। इनकी कुल संख्या 7 है।

- राजस्थान का सबसे बड़ा आखेट निषिद्ध क्षेत्र चुरू जिले में स्थित है जो संवत्सर - कोटसर क्षेत्र में फैला हुआ है

- राज्य का सबसे छोटा आखेट निषिद्ध क्षेत्र बूंदी जिले में स्थित कनक सागर क्षेत्र है।

- राष्ट्रीय मरू उद्यान जैसलमेर ऐसा अभयारण्य है इस क्षेत्र में इंदिरा गांधी नहर बहती है।

- राज्य पक्षी गोडावण राष्ट्रीय मरू उद्यान जैसलमेर , (सांकलिया) अजमेर तथा सोरसन( बारां) में ही पाए जाते हैं।

- टोंक जिले के देवड़ावास गाँव में ऑलिव ( जैतून ) पार्क बनाया जायेगा।

- रणथम्भौर और सरिस्का के बाद राजस्थान का तीसरा टाइगर रिज़र्व पार्क मुकुंदरा हिल्स को घोषित  किया गया है। 


                       इस प्रकार आज हमने राजस्थान में राष्ट्रीय उद्यान ( rajasthan  me National park aur vanay jeev abhyaranay )  एवं वन्यजीव  अभयारण्यों  के बारे में सारगर्भित जानकारी प्राप्त की है। जानकारी अच्छी लगी है तो साथियों को शेयर अवश्य करें साथ ही  कमेंट करके अवश्य बताएं।







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