वाच्य के भेद परिभाषा और उदाहरण - (vachay ke bhed paribhasha our udaharan )
वाच्य के भेद परिभाषा और उदाहरण के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। हिंदी व्याकरण में वाच्य (vachay ) एक महत्त्वपूर्ण बिंदु है। हिंदी व्याकरण के वाच्य की परिभाषा ,वाच्य के भेद और उदाहरण इस लेख में आसान तरीके से समझाने का प्रयास किया गया है। वाच्य क्या है ? वाच्य का अर्थ , कर्तृ वाच्य , कर्मवाच्य और भाववाच्य की सम्पूर्ण जानकारी विस्तार से समझाने का प्रयास किया है।
वाच्य की परिभाषा - vachy ( voice ) ki paribhasha -
वाच्य का अर्थ - (meaning of voive)
वाच्य का अर्थ अभिधेय होता है। अर्थात् वाक्य को कहने का ढंग। वक्ता द्वारा अपनी बात को कहने का जो तरीका होता है वह वाच्य होता है ।
वाच्य के भेद और उदाहरण - (Vachy ke Bhed our Udaaharan )
हिंदी व्याकरण में वाच्य के तीन भेद / प्रकार के होते हैं ।
- कर्तृवाच्य (ACTIVE VOICE )
- कर्मवाच्य (PASSIVE VOIVE )
- भाववाच्य ( IMPERSONAL VOIVE )
वाच्य के भेद |
कर्तृवाच्य ( Active Voive ) -
जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का सीधा और प्रधान संबंध कर्त्ता के साथ होता है अर्थात क्रिया के लिंग, वचन कर्त्ता के अनुसार प्रयुक्त होते हैं, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं।
कर्तृवाच्य में क्रिया कर्त्ता के अनुसार चलती है। कर्त्ता यदि एकवचन का होता है तो क्रिया भी एक वचन की होती है और यदि कर्त्ता बहुवचन का होता है तो क्रिया भी बहुवचन की प्रयुक्त होती है।
कर्तृवाच्य के उदाहरण -
जैसे - राम फल खाता है।कर्तृवाच्य में क्रिया कर्त्ता के अनुसार चलती है। कर्त्ता यदि एकवचन का होता है तो क्रिया भी एक वचन की होती है और यदि कर्त्ता बहुवचन का होता है तो क्रिया भी बहुवचन की प्रयुक्त होती है।
कर्तृवाच्य के उदाहरण -
सीता दूध पीती है।
वह गांव गया।
बालक खेलते हैं।
हम सब दौड़ते हैं।
राम बाजार जाता है।
वे सब फल खाते हैं ।
कर्मवाच्य ( Passive Voice ) -
जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया कर्त्ता के अनुसार न होकर कर्म के अनुसार प्रयुक्त होती है, उसे कर्मवाच्य कहते हैं। कर्मवाच्य सदैव सकर्मक क्रियाओं का ही होता है क्योंकि इसमें कर्म की प्रधानता रहती है। कर्मवाच्य के कर्त्ता में करण कारक का प्रयोग होता है।
कर्मवाच्य के कर्त्ता में (से ,के द्वारा ) चिह्न के प्रयोग से भी कर्मवाच्य का पता लगाया जा सकता है। अगर कर्म एकवचन होता है तो क्रिया भी एकवचन में होती है। कर्म बहुवचन में होता है तो क्रिया भी बहुवचन की होती है।
कर्मवाच्य के उदाहरण -
जैसे -
राम के द्वारा फल खाया जाता है।
राम के द्वारा फल खाया जाता है।
मेरे से पुस्तक पढ़ी जाती है।
सीता द्वारा दूध पिया जाता है।
मोहन द्वारा गीत गाया जाता है ।
मोहन द्वारा गीत गाया जाता है ।
मरीज को दवा दी गयी ।
गीता द्वारा पत्र लिखा गया ।
आपको सूचित किया जाता है ।
शिक्षक द्वारा छात्र को पुरस्कार दिया गया ।
राम ने गाना गाया ।
सुभाष ने खाना खाया ।
भाववाच्य ( Impersonal Voice ) -
जब वाक्य में क्रिया न तो कर्त्ता के अनुसार प्रयुक्त होती है, न कर्म के अनुसार बल्कि असमर्थता के भाव के साथ प्रयुक्त होती है वहाँ भाववाच्य होता है।
भाव वाच्य की एक स्थिति यह भी होती है कि यदि क्रिया सकर्मक हो तथा कर्त्ता और कर्म दोनों विभक्ति चिह्न युक्त हो तो क्रिया सदैव पुल्लिंग, अन्य पुरुष - एकवचन, भूतकाल की होती है।
भाव वाच्य की एक स्थिति यह भी होती है कि यदि क्रिया सकर्मक हो तथा कर्त्ता और कर्म दोनों विभक्ति चिह्न युक्त हो तो क्रिया सदैव पुल्लिंग, अन्य पुरुष - एकवचन, भूतकाल की होती है।
भाववाच्य के उदाहरण -
जैसे -
राम ने रावण को मारा ।
मुझसे अब चला नहीं जाता।
उनसे गाया नहीं जा सकता।
राम द्वारा देखा नहीं जाता ।
राम द्वारा देखा नहीं जाता ।
मोहन द्वारा लिखा नहीं जाता है ।
रमेश द्वारा सुना नहीं जाता है ।
लड़के ने लड़की को पीटा ।
लड़के ने लड़की को पीटा ।
आँखों में दर्द के करण मुझसे पढ़ा नहीं जाता।
इस प्रकार हमने वाच्य के भेद परिभाषा और उदाहरण सहित समझने का प्रयास किया है।आपको जानकारी अच्छी लगी है तो साथियों तक पहुँचाना न भूलें। जानकारी अच्छी लगी तो कमेंट करके हमें अवश्य बताएं।
यह भी जानें - क्रिया के भेद परिभाषा और उदाहरण -
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें