समास की परिभाषा भेद और उदाहरण ( samas ki paribhasha bhed our udaharan )
समास की परिभाषा भेद और उदाहरण ( Samas ki paribhasha bhed our udaharan ) को समझने के लिए आज हम इस लेख के माध्यम से जानकारी प्राप्त करेंगे। हिंदी व्याकरण में समास एक महत्वपूर्ण प्रकरण है। हिंदी भाषा में समास प्राय: नए शब्द निर्माण हेतु प्रयोग में लिए जाते हैं।
प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखकर समास की परिभाषा भेद और उदाहरण के बारें में सारगर्भित जानकारी के लिए यह लेख सभी को अवश्य पढ़ना चाहिए। समास की परिभाषा और उसके भेद उदाहरण सहित इस प्रकार जानने का प्रयास करते हैं।
समास के ज्ञान से शब्द भंडार में वृद्धि होती है । साथ ही शब्दों के अर्थ को जानने में भी सहूलियत रहती है । समास प्रकरण संस्कृत साहित्य के अनुसार अति प्राचीन सिद्ध होता है क्योंकि श्रीमद्भागवतगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि " मैं समासों में द्वंद समास में हूँ ।"
समास की परिभाषा - (samas ki paribhasha ) -
जब दो या दो से अधिक पद या शब्द अपने बीच की विभक्ति का लोप कर जो छोटा रूप बनाते हैं , उसे समास कहते हैं । दूसरे शब्दों में जब परस्पर संबंध रखने वाले दो या दो से अधिक शब्द अपने संबंधी शब्दों को छोड़कर एक साथ मिल जाते हैं तब उनके मेल को समास कहते हैं।
अर्थात् एक से अधिक शब्दों को एक शब्द में कहना या लिखना समास कहलाता है।
अर्थात् एक से अधिक शब्दों को एक शब्द में कहना या लिखना समास कहलाता है।
समास का अर्थ - ( samas ka arth )
समास का शाब्दिक अर्थ है - संक्षिप्त / संक्षेपण / छोटा रूप / संक्षिप्तिकरण ।
समस्त पद - ( Samast pad )
समास की प्रक्रिया से बनने वाले नवीन शब्द को सामासिक पद कहते हैं। समास से बने हुए शब्द को समस्त पद भी कहते हैं।
जैसे - भरपेट
राजपुत्र
नीलकमल
रसोईघर
जलमग्न
अश्वपतित
समास विग्रह -
जैसे -
वनगमन = वन को गमन
यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार
अमचूर = आम का चूर्ण
अन्न - जल = अन्न और जल
समस्त पद तथा समास विग्रह क्या होता है ?
समास में समस्त पद और समास विग्रह दो अलग-अलग पहलू होते हैं। जब दो या दो से अधिक पदों को मिलाकर एक पद बनाया जाता है तो वह समस्त पद कहलाता है । और समस्त पद को अलग अलग करके जब नए पद बनाए जाते हैं तब उन्हें समास विग्रह कहा जाता है।
समास में पद -
समास में प्रमुख रूप से दो पद प्रचलित हैं - पूर्व पद और उत्तर पद। जैसे = प्रेम - सागर यहां प्रेम पूर्व पद है तथा सागर उत्तर पद है।
समास में दो से अधिक पद भी हो सकते हैं जैसे - युधिष्ठिरभीमार्जुन का समास विग्रह युधिष्ठिर भीम और अर्जुन है। यहां तीन पद हैं। यहां भीम मध्य पद है।
समास में दो से अधिक पद भी हो सकते हैं जैसे - युधिष्ठिरभीमार्जुन का समास विग्रह युधिष्ठिर भीम और अर्जुन है। यहां तीन पद हैं। यहां भीम मध्य पद है।
समास की परिभाषा भेद और उदाहरण |
समास के भेद और उदाहरण ( samas ke bhed aur udaharan )
संस्कृत की दृष्टि से देखा जाए तो समास के चार भेद होते हैं परंतु हिंदी व्याकरण में समास के 6 भेद मान्य हैं।
हिंदी व्याकरण में समास के 6 भेद / प्रकार होते हैं जो इस प्रकार हैं -
- तत्पुरुष समास
- अव्ययीभाव समास
- द्वंद्व समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- बहुव्रीहि समास
अब हम समास के भेद ( samas ke bhed and udaharan ) के बारे में विस्तार से जानकारी इस प्रकार से प्राप्त करेंगे।
तत्पुरुष समास की परिभाषा और उदाहरण - (Tatpurush samas ki paribhasha aur udaharan)
तत्पुरुष समास में पहला पद संज्ञा अथवा विशेषण होता है तथा दूसरा पद अर्थ की दृष्टि से प्रधान हो और प्रथम पद के साथ विभक्ति का लोप हो जाता है वहाँ तत्पुरुष समास होता है।
इस समास में अर्थ की दृष्टि से दूसरा पद प्रधान होता है इसके दोनों पदों के बीच का कारक चिह्न लुप्त रहता है । समास विग्रह करने पर दोनों पदों के बीच में लुप्त कारक चिह्न को पहचानने पर तत्पुरुष समास के भेद को समझा जाता है।
इसका विग्रह करने पर कर्त्ता कारक व संबोधन कारक की विभक्तियों के अतिरिक्त किसी भी कारक की विभक्ति प्रयुक्त होती है तथा विभक्ति के अनुसार ही इसके उपभेद निर्धारित होते हैं।
कर्म तत्पुरुष समास और उदाहरण -
इसमें (को
) विभक्ति
चिह्न
का
लोप
रहता
है
।
समास
विग्रह
करने
पर (को ) विभक्ति चिह्न प्रकट होता है।
उदाहरण -
समस्त पद समास विग्रह
वनगमन वन को गमन
नेत्रसुखद नेत्र को सुख देने वाला
जेबकतरा जेब को कतरने वाला
पदप्राप्त पद को प्राप्त
चिड़ीमार चिड़ी को मारने वाला
कठफोड़वा काष्ठ को फोड़ने वाला
शरणागत शरण को आया हुआ
गगनचुंबी गगन को चूमने वाला
जितेंद्रिय इंद्रियों को जीतने वाला
मरणातुर मरने को आतुर
हितकारी हित को करने वाला
कमरतोड़ कमर को तोड़ने वाला
स्वर्गप्राप्त स्वर्ग को प्राप्त
आशातीत आशा को अतीत (से परे)
करण तत्पुरुष समास और उदाहरण -
करण तत्पुरुष समास में तृतीया विभक्ति का चिह्न (से या के द्वारा) का लोप रहता है।
उदाहरण -
समस्त पद समास विग्रह
हस्तलिखित हस्त से लिखित
रेखांकित रेखा से अंकित
मनमाना मन से माना
रोगातुर रोग से आतुर
स्वयंसिद्ध स्वयं से सिद्ध
तुलसीकृत तुलसी के द्वारा कृत
कष्टपूर्ण कष्ट से पूर्ण
चिंताग्रस्त चिंता से ग्रस्त
अकालपीड़ित अकाल से पीड़ित
रसभरी रस से भरी
प्रेमाकुल प्रेम से आकुल
शोकार्त शोक से आर्त
रत्नजड़ित रत्नों से जड़ित
संप्रदान तत्पुरुष समास और उदाहरण -
इस समास में ( के लिए ) विभक्ति चिह्न का लोप रहता है।
उदाहरण
समस्त पद समास विग्रह
गुरुदक्षिणा गुरु के लिए दक्षिणा
रसोईघर रसोई के लिए घर
सभाभवन सभा के लिए भवन
विद्यालय विद्या के लिए आलय
सत्याग्रह सत्य के लिए आग्रह
छात्रावास छात्रों के लिए आवास
औषधालय औषध के लिए आलय
हवनसामग्री हवन के लिए सामग्री
देशप्रेम देश के लिए प्रेम
व्यायामशाला व्यायाम के लिए शाला
विवाहमंडप विवाह के लिए मंडप
विद्यामंदिर विद्या के लिए मंदिर
यज्ञशाला यज्ञ के लिए शाला
अपादान तत्पुरुष समास और उदाहरण -
इस समास में
- से (अलग होने के अर्थ में) विभक्ति चिह्न का लोप रहता है।
उदाहरण
समस्त पद समास विग्रह
कामचोर काम से चोर
भयभीत भय से भीत
सेवामुक्त सेवा से मुक्त
धनहीन धन से हीन
रोगमुक्त रोग से मुक्त
भयमुक्त भय से मुक्त
कर्महीन कर्म से हीन
पथभ्रष्ट पथ से भ्रष्ट
क्रमागत क्रम से आगत
सिंहभीत सिंह से भीत (ड़रा हुआ)
पदच्युत पद से च्युत ( गिराया या हटाया हुआ )
ऋणमुक्त ऋण से मुक्त
राजद्रोह राज से द्रोह
देशद्रोह देश से द्रोह
भावहीन भाव से हीन
क्रमागत क्रम से आगत
संबंध तत्पुरुष समास और उदाहरण -
संबंध तत्पुरुष समास में (का , के ,की ) विभक्ति चिह्न का लोप रहता है।
उदाहरण
समस्त पद समास विग्रह
गंगाजल गंगा का जल
राजकुमार राजा का कुमार
रक्तदान रक्त का दान
भारतवासी भारत का वासी
नेत्रदान नेत्र का दान
कन्यादान कन्या का दान
राजमाता राजा की माता
मंत्रीपरिषद् मंत्रियों की परिषद
रामचरित राम का चरित
राजपुत्र राजा का पुत्र
अमचूर आम का चूर्ण
अधिकरण तत्पुरुष समास और उदाहरण -
अधिकरण तत्पुरुष समास में ( में , पर ) विभक्ति चिह्नों का लोप रहता है।
अधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण -
समस्त पद समास विग्रह
ध्यानमग्न ध्यान में मग्न
आपबीती आप पर बीती
रणवीर रण में वीर
चिंतामग्न चिंता में मग्न
कविपुंगव कवियों में पुंगव ( श्रेष्ठ )
दहीबड़ा दही में डूबा हुआ बड़ा
रेलगाड़ी रेल (पटरी) पर चलने वाली गाड़ी
रसगुल्ला रस में डूबा हुआ गुल्ला
पुरुषोत्तम पुरुषों में उत्तम
नरश्रेष्ठ नरों में श्रेष्ठ
घृतान्न घी में पका हुआ अन्न
कपिश्रेष्ठ कपियों में श्रेष्ठ
मंत्रीवर मंत्रियों में वर
मुनिश्रेष्ठ मुनियों में श्रेष्ठ
वनवास वन में वास
कलानिपुण कला में निपुण
कर्मलीन कर्म में लीन
कर्मरत कर्म में रत ( लगा हुआ )
अज्ञातवास अज्ञात में वास
द्वंद्व समास की परिभाषा और उदाहरण - ( davandav samas aur udaharan )
द्वंद समास के दोनों पद प्रधान होते हैं । दोनों पद प्राय: एक दूसरे के विलोम शब्द होते हैं लेकिन सदैव नहीं । इसका विग्रह करने पर और अथवा या का प्रयोग होता है। द्वन्द्व समास के दोनों पदों को को उभय पद भी कहते हैं। इसीलिए द्वन्द्व समास को उभय पद प्रधान समास भी कहते हैं ।
संस्कृत में द्वन्द्व समास के तीन भेद माने गए हैं -
इतरेतर द्वंद समास
समाहार द्वंद्व समास
एकशेष (वैकल्पिक) द्वंद समास
द्वंद्व समास के उदाहरण -
समस्त पद समास विग्रह
माता पिता माता और पिता
पाप पुण्य पाप और पुण्य
जलवायु जल और वायु
सुरासुर सुर और असुर
अहोरात्र अहन् और रात्रि
अहर्निश अहन् और निशा
न्यूनाधिक न्यून और अधिक
लाभ हानि लाभ या हानि
शुभाशुभ शुभ या अशुभ
कृष्णार्जुन कृष्ण और अर्जुन
शीतातप शीत और तप
शीतोष्ण शीत और उष्ण
दाल रोटी दाल और रोटी
हर्षोल्लास हर्ष और उल्लास
पति- पत्नी पति और पत्नी
अहोरात्र अह्न ( दिन ) और रात्रि
दिवारात्र दिवा ( दिन ) और रात्रि
कर्मधारय समास की परिभाषा और उदाहरण - ( Karmdhary samas aur udaharan )
कर्मधारय समास में अर्थ की दृष्टि से दूसरा पद प्रधान होता है। इसमें कोई न कोई एक पद विशेषण -विशेष्य या उपमान - उपमेय से संबंधित होता है।
कर्मधारय समास की पहचान करने के लिए दोनों पदों के साथ कौन कैसा/कैसी है का संबंध छुपा रहता है । जैसे लाल मिर्च पद में कौन का उत्तर है- मिर्च
, कैसी है का उत्तर है लाल। इसी प्रकार अन्य उदाहरणों को भी याद रख सकते हैं।
उदाहरण
समस्त पद समास विग्रह
कृष्णसर्प कृष्ण है जो सर्प
नीलकमल नील है जो कमल
मंदबुद्धि मंद है जो बुद्धि
महोदय महान है जिसका उदय
कृष्णपक्ष कृष्ण है जो पक्ष
अल्पावधि अल्प है जिसकी अवधि
हतप्रभ हत है जिसकी प्रभा
महापुरुष महान है जो पुरुष
पीतांबर पीत है जो अंबर
महर्षि महान है जो ऋषि
कुपुत्र कुत्सित है जो पुत्र
चंद्रमुख चंद्र जैसा मुख
विद्याधन विद्या रूपी धन
अव्ययीभाव समास की परिभाषा और उदाहरण - ( Avyayibhav samas and udaharan )
अव्ययीभाव समास में पूर्व पद प्रधान होता है तथा पहला पद अव्यय होता है। यदि एक शब्द की पुनरावृति होकर दोनों शब्द मिलकर अव्यय की तरह प्रयुक्त होते हैं तो वहां भी अव्ययीभाव समास होता है ।
संस्कृत भाषा के उपसर्ग युक्त पद भी अव्ययीभाव समास के अंतर्गत आते हैं। उपसर्ग युक्त पद भी अव्यय के अंतर्गत आते हैं।
संस्कृत भाषा के उपसर्ग युक्त पद भी अव्ययीभाव समास के अंतर्गत आते हैं। उपसर्ग युक्त पद भी अव्यय के अंतर्गत आते हैं।
(वे शब्द जो लिंग वचन कारक या विभक्ति चिह्न और काल के अनुसार नहीं बदलते, उन्हें अव्यय कहते हैं।)
अव्ययीभाव समास के उदाहरण -
समस्त पद समास विग्रह
यथाशक्ति शक्ति के अनुसार
प्रतिदिन प्रत्येक दिन या हर दिन
प्रत्येक हर एक
प्रत्यक्ष अक्षि के सामने
यथेच्छा इच्छा के अनुसार
यथाशीघ्र जितना शीघ्र हो
आजीवन जीवन पर्यंत
अत्यल्प अत्यंत अल्प
यावज्जीवन जीवन पर्यंत
निर्गुण गुण रहित
भरपेट पेट भर कर
सपत्नीक पत्नी सहित
घर घर प्रत्येक घर
रातों-रात रात ही रात में
निर्विवाद बिना विवाद के
बाकायदा कायदे के अनुसार
निडर डर रहित
सहगम साथ साथ गमन
निकम्मा काम रहित
निरादर आदर रहित
सहचर साथ - साथ विचरण करने वाला
निर्धन धन रहित
उपगंगा गंगा के समीप
विपक्ष विपरीत पक्ष
निष्पक्ष पक्ष रहित
सहपाठी साथ - साथ पढ़ने वाला
यावज्जीवन जीवन पर्यन्त
रातभर पूरी रात
द्विगु समास की परिभाषा और उदाहरण - ( dvigu samas and udaharan )
द्विगु समास में प्राय पूर्व पद संख्यावाचक होता है। अर्थ की दृष्टि से द्वितीय पद प्रधान होता है। सूत्र - संख्यापूर्वो द्विगु समास । द्विगु समास में प्रयुक्त संख्या किसी समूह का बोध कराती है अन्य अर्थ का नहीं जैसा की बहुव्रीहि समास में देखा जाता है ।
संख्याओं में 1 से 9 तक व पूर्णांक संख्यावाची जैसे 10, 20 ,30, 40 आदि संख्याओं से युक्त पदों के अलावा सभी द्विगु समास के उदाहरण न होकर द्वंद्व समास के उदाहरण होते हैं । जैसे - अष्टादश - आठ और दश ,त्रयोदश - तीन और दश आदि।
द्विगु समास में विग्रह करने पर समूह या समाहार शब्द प्रयुक्त होता है।
द्विगु समास के उदाहरण -
समस्त पद समास विग्रह
पंचपात्र पांच पात्रों का समाहार
पंचवटी पांच वटों का समाहार
सप्ताह सप्त अहन्( दिनों ) का समाहार
सतसई सात सौ का समाहार
नवरत्न नौ रत्नों का समूह
शतक सौ का समाहार
त्रिरत्न तीन रत्नों का समूह
पंचामृत पांच अमृतों का समाहार
पंचपात्र पांच पात्रों का समाहार
त्रिभुज तीन भुजाओं का समाहार
सप्तर्षि सात ऋषियों का समूह
त्रिवेदी तीन वेदों के समूह को जानने वाला
त्रिकाल तीन कालों का समूह
तिगुना तीन गुणों के समूह वाला
चारपाई चार पायों का समूह वाली
चवन्नी चार आनों का समूह वाली
नवरात्र नव रात्रों का समूह
शताब्दी शत (सौ) अब्दों (वर्षों) का समूह
त्रिलोक तीन लोकों का समूह
द्विगु दो गायों ( गौ )का समूह
त्रिवेद तीन वेदों का समूह
द्विरंग दो रंगों का समूह
तिराहा तीन राहों का समूह
नवद्वीप नौ द्वीपों का समूह
पंजाब पांच आबों (नदियों ) के समूह वाला
चौमासा चार मासों का समूह
पंचांग पांच अंगों के समूह वाला
नवरत्न नव (नौ ) रत्नों का समूह
बहुव्रीहि समास की परिभाषा और उदाहरण - ( bahuvarihi samas and udaharan )
बहुव्रीहि समास में न तो प्रथम पद प्रधान होता है न ही द्वितीय पद प्रधान होता है दोनों पदों को मिलाकर किसी तीसरे पद के अर्थ की प्रधानता होती है अर्थात इस समास में अन्य पद प्रधान होता है। प्राय: सभी देवी देवताओं के नाम के पर्यायवाची शब्द बहुव्रीहि समास के उदाहरण होते हैं।
उदाहरण
समस्त पद समास विग्रह
गजानन गज का आनन है जिसका वह ( गणेश )
जलद जल में जन्म लेने वाला है जो वह ( कमल )
नीलकंठ नीला है कंठ जिसका वह ( शिव )
पीतांबर पीत है अंबर (वस्त्र) जिसका वह ( विष्णु )
दशानन दश हैं आनन जिसके वह ( रावण )
त्रिनेत्र तीन नेत्र हैं जिसके वह ( शिव )
वक्रतुंड वक्र है तुंड (मुख) जिसका वह ( गणेश )
मयूरवाहन मयूर है वाहन जिसका वह कार्तिकेय
चक्रपाणि चक्र है हाथों में जिसके वह विष्णु
वीणापाणि वीणा है जिसके पाणी ( हाथों) में वह (सरस्वती)
त्रिलोचन तीन हैं जिसके लोचन वह शिव
पंचानन पंच हैं आनन जिसके वह
कमलनयन कमल के समान नयन है जिसके वह
गिरिधर गिरी को धारण करने वाला है जो वह है
सुग्रीव सुंदर है ग्रीवा जिसकी वह
षड़ानन षट् है आनन जिसके वह कार्तिकेय
अष्टाध्यायी अष्ट अध्यायों की पुस्तक है जो वह (महर्षि पाणिनी की रचना का नाम)
वाल्मीकि वल्मीक से उत्पन्न है जो वह
दिगंबर दिशाएं ही हैं जिसका अंबर वह
मुरारि मुर का अरि( शत्रु ) है जो है वह
आशुतोष आशु (शीघ्र ) प्रसन्न होता है जो वह
आजानुबाहु जानुओं (घुटनों) तक बाहु (भुजा) हैं जिसकी वह
मरणासन्न मरण के आसन (निकट ) है जो वह
दामोदर दामन से बंधा है जिसका उदर वह ( विष्णु )
शचीपति सची का पति है जो वह ( इंद्र )
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अब हम समास के भेद को एक नजर में इस प्रकार से देख सकते हैं-
अव्ययीभाव समास में प्रथम पद प्रधान होता है तथा प्रथम पद अव्यय या उपसर्ग शब्द होता है।
तत्पुरुष समास में द्वितीय पद प्रधान होता है ।
द्वंद्व समास में दोनों पद प्रधान होते हैं । द्वंद्व समास को उभयपद प्रधान समास भी कहते हैं । "चार्थे द्वन्द्व" अर्थात् च अथवा और अर्थ में द्वंद्व समास होता है।
बहुव्रीहि समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता है दोनों पदों को मिलाकर तीसरे पद की कल्पना की जाती है, उसे अन्य पद कहते हैं उसी अन्य पद के अर्थ की प्रधानता रहती है।
द्विगु समास में पूर्व पद संख्यावाची होता है तथा समास विग्रह में समूह या समाहार का प्रयोग किया जाता है।
कर्मधारय समास में विशेषण - विशेष्य या उपमेय-उपमान का संबंध होता है । विग्रह करने पर पदों के साथ रूपी या जैसा शब्द प्रयुक्त होता है।
देवी-देवताओं के पर्यायवाची शब्द बहुव्रीहि समास के उदाहरण होते हैं।
संधि और समास में अंतर -
संधि में दो या दो से अधिक वर्णों का मेल होता है लेकिन समास में दो या दो से अधिक पदों का मेल होता है। संधि युक्त शब्द को तोड़ना संधि विच्छेद कहलाता है परन्तु समास युक्त पद को तोड़ना समास विग्रह कहलाता है।
तो इस प्रकार आज हमने समास का अर्थ परिभाषा भेद ( samas ke bhed,paribhasha and udaaharan ) और समास के उदाहरणों के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की है । आशा है आज की यह जानकारी आपको अवश्य पसंद आई है। अपने साथियों को शेयर करना ना भूलें।
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