भारतीय इतिहास के प्रसिद्ध युद्ध -
भारत के इतिहास में प्रमुख युद्ध ( Bhartiy itihas ke pramukh Yuddh ) भारत के अतीत की जानकारी प्रदान करते हैं। भारत का इतिहास युद्धों की एक क्रमबद्ध शृंखला को प्रस्तुत करता है। राजस्थान के प्रमुख युद्ध भी इन्हीं युद्धों को माना जाता है। रामायण - महाभारत काल से ही भारतीय इतिहास में युद्धों की जानकारी मिल जाती है। भारतीय इतिहास के प्रसिद्ध युद्धों की सारगर्भित जानकारी इस प्रकार से दी गयी है -
रावर का युद्ध 712 ई. में मोहम्मद बिन कासिम और दाहिर के बीच में मोहम्मद कासिम की विजय हुई। दाहिर की मृत्यु हो गई उसकी विधवा रानी बाई ने जौहर किया। भारतीय इतिहास में पहली बार जौहर शब्द का उल्लेख इसी युद्ध में हुआ है।
तराईन का प्रथम युद्ध 1191ई.मे मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान ( तृतीय ) के बीच हुआ। पृथ्वीराज चौहान (तृतीय ) की विजय हुई। मोहम्मद गोरी की पहली पराजय थी।
तराईन का द्वितीय युद्ध 1192 ई.मे मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान तृतीय के बीच हुआ। इस युद्ध में गौरी की विजय हुई। पृथ्वीराज चौहान ( तृतीय ) का सेनापति खांडेराव था जिसने तराइन के युद्ध में सेना का नेतृत्व किया।
पृथ्वीराज चौहान ( तृतीय ) को राजस्थान के इतिहास में रायपिथौरा भी कहा जाता है। पृथ्वीराज तृतीय को दलपुंगल विश्व विजेता की उपाधि भी दी गयी है।
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तराइन का तीसरा युद्ध 1215 ई.मे इल्तुतमिश और ताजुद्दीन यल्दौज के बीच हुआ इल्तुतमिश की विजय हुई।
चंदावर का युद्ध 1194 ई.मे मोहम्मद गोरी और कन्नौज के शासक जयचंद के बीच हुआ मोहम्मद गौरी की विजय हुई। चंदावर इटावा जिले में यमुना नदी के तट पर है।
रणथम्भौर का युद्ध 1301 ईस्वी में हम्मीर देव और अलाउद्दीन खिलजी के बीच हुआ। हमीर देव पराजित हो गया। हमीर की रानी रंग देवी ने जौहर किया। रणथम्भौर अभियान में अलाउद्दीन खिलजी का सेनापति नुसरत खां मारा गया।
इस युद्ध में अमीर खुसरो अलाउद्दीन खिलजी की सेना के साथ था, अमीर खुसरो ने रणथंभोर की विजय के बाद कहा कि आज कुफ्र का गढ़ इस्लाम का घर हो गया।
चित्तौड़ का युद्ध 1303 ई. में अलाउद्दीन खिलजी और राणा रतन सिंह के बीच हुआ था। अलाउद्दीन खिलजी की विजय हुई।अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ को जीतकर इसका नाम अपने पुत्र खिज्र खां के नाम पर खिज्राबाद रखा ।
सिवाना का युद्ध 1308 में अलाउद्दीन खिलजी और शीतल देव चौहान के बीच हुआ। अलाउद्दीन खिलजी की विजय हुई। अलाउद्दीन खिलजी ने देशद्रोही भावले की सहायता से किले के कुण्ड को गौ रक्त से अपवित्र करवा दिया था। राजपूत स्त्रियों ने रानी मेणा के नेतृत्व में साका किया और सिवाना का नाम बदलकर खैराबाद कर दिया गया।
जालौर का युद्ध 1311ई. में अलाउद्दीन खिलजी और कान्हडदे के बीच हुआ था। अलाउद्दीन खिलजी की विजय हुई। राजपूत स्त्रियों ने रानी के नेतृत्व में जौहर किया।अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर को जीतकर जलालाबाद नाम दिया और वहां पर अलाई दरवाजा नामक मस्जिद का निर्माण करवाया। इस युद्ध की जानकारी पद्मनाभ के ग्रंथ कान्हडदेव प्रबंध तथा वीरमदेव सोनगरा की वात में मिलती है।
सारंगपुर का युद्ध 1437 ई.मे महाराणा कुंभा और मालवा के शासक मोहम्मद खिलजी के बीच हुआ था। महाराणा कुंभा की विजय हुई। कुंभा दवारा सुल्तान महमूद खिलजी से महपा पंवार एक्का की मांग करना था।
महाराणा कुंभा ने इस विजय के उपलक्ष में अपने विष्णु के निर्मित चित्तौड़ के किले में विशाल विजय स्तंभ [कीर्ति स्तंभ] का निर्माण करवाया।
बाड़ी ( धौलपुर ) का युद्ध 1519 ई.मे इब्राहिम लोदी व राणा सांगा के बीच हुआ। राणा सांगा की विजय हुई।
खातोली का युद्ध 1517ई.[ बूंदी ] राणा सांगा इब्राहिम लोदी के बीच युद्ध हुआ इसमें राणा सांगा की विजय हुई इस युद्ध में तलवार से राणा सांगा का बांया हाथ कट गया और घुटने पर तीर लगने से हमेशा के लिए लंगड़ा हो गया।
गागरोन का युद्ध 1518 में राणा सांगा ने मालवा के शासक महमूद खिलजी द्वित्तीय को पराजित किया था।
बयाना युद्ध 16 फरवरी 1527 को राणा सांगा और बाबर के मध्य हुआ। राणा सांगा की विजय हुई।
पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल 1526 बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच मेंहुआ। इब्राहिम लोदी पराजित हुआ इस युद्ध में बाबर ने तुलुगमा युद्ध पद्धति का प्रयोग किया।
पानीपत का द्वितीय युद्ध 5 नवंबर 1556 ईस्वी अकबर और हेमू के बीच हुआ। अकबर की विजय हुई।
पानीपत का तीसरा युद्ध 14 जनवरी 1761 ई. में अहमद शाह अब्दाली और बालाजी बाजीराव के मध्य हुआ।
खानवा का युद्ध 1527 में [ भरतपुर के पास रूपवास में ] बाबर व राणा सांगा के मध्य हुआ था। बाबर की विजय हुई। खानवा विजय के बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की। खानवा युद्ध का मुख्य कारण पानीपत विजय के बाद बाबर का भारत में रहने का निश्चय था। कर्नल टॉड के अनुसार खानवा के युद्ध में राणा सांगा के साथ सात उच्च श्रेणी के राजा, 9 राव तथा 104 सरदार उपस्थित थे।
चौसा का युद्ध 1539 में शेरशाह और हुमायूं के बीच हुआ हुमायूं पराजित हो गया।
बिलग्राम का युद्ध भी 1540 में शेरशाह और हुमायूं के बीच ही हुआ। इस बार भी हुमायूं पराजित हो गया। इसे कन्नौज का युद्ध के नाम से भी जाना जाता है।
गिरी सुमेल का युद्ध [ जैतारण पाली ] जनवरी 1544 में मारवाड़ के शासक मालदेव व शेरशाह सूरी के बीच हुआ। शेरशाह ने कूटनीति से यह युद्ध जीता लेकिन यह कहने को मजबूर हो गया कि मैं मुट्ठी भर बाजरे के लिए हिंदुस्तान का साम्राज्य लगभग खो चुका था।
हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 में महाराणा प्रताप, उनके मुस्लिम सेनापति हकीम खां सूरी व मुगल सूबेदार मानसिंह और आसिफ खां के मध्य यह युद्ध हुआ। महाराणा प्रताप की पराजय हुई। लेकिन महाराणा प्रताप ने कभी भी मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की।
कर्नल जेम्स टॉड ने हल्दीघाटी को मेवाड़ की थर्मोपोली का युद्ध कहा है।
अबुल फजल ने हल्दीघाटी के युद्ध को गोगुंदा का युद्ध नाम दिया था।
बदायूंनी ने हल्दीघाटी के युद्ध को खमनौर का युद्ध नाम दिया।
धरमत का युद्ध 15 अप्रैल 1658 ई. में औरंगजेब और मुराद की सेना ने जसवंत सिंह और कासिम खान की सेना को पराजित किया।
सामुगढ़ का युद्ध 29 अप्रैल 1658ई. औरंगजेब व मुराद की सेना ने दारा को पराजित किया था और आगरा पर कब्जा कर लिया था।
प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 ई. में लॉर्ड क्लाइव व सिराजुद्दौला के बीच हुआ। प्लासी बंगाल के नदिया जिले में गंगा की सहायक भागीरथी नदी के किनारे पर है।
बक्सर का युद्ध 23 अक्टूबर 1764 में ( बिहार के आरा जिले में स्थित है ) मीर कासिम ने मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय व अवध नवाब शुजाउद्दौला के साथ मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध एक सैन्य गठबंधन बनाया और तीनों की संयुक्त सेना ने बक्सर के मैदान में हेक्टर मुनरो के नेतृत्व वाली अंग्रेज सेना से मुकाबला किया। अंग्रेजों की विजय हुई।
बक्सर के युद्ध के समय बंगाल का नवाब मीर जाफर था। बक्सर का युद्ध प्लासी के युद्ध से अधिक महत्वपूर्ण था। बक्सर के युद्ध से बंगाल बिहार और उड़ीसा पर कंपनी का प्रभुत्व स्थापित हो गया।
बगरू का युद्ध मार्च 1748 ईश्वर सिंह व मल्हार राव होलकर के बीच हुआ। ईश्वर सिंह पराजित हुआ। ईश्वरीसिंह ने जयपुर में ईसरलाट का निर्माण भी करवाया था।
मतीरे की राड़ 1644 ईस्वी में मारवाड़ के शासक अमरसिंह राठौड़ व बीकानेर के शासक करण सिंह के मध्य हुआ। यह इतिहस की एकमात्र ऐसी लड़ाई थी जो केवल फल मतीरे को लेकर लड़ी गयी थी।
तालीकोटा का युद्ध 25 जनवरी 1565 ई.मे ( राक्षस तगंडी या बरनी हट्टी ) के युद्ध में बिजापुर -गोलकुंडा अहमदनगर - बीदर की संयुक्त सेना ने विजयनगर की सेना को बुरी तरह पराजित किया।
विजय नगर की सेना का नेतृत्व राम राय ने किया। तालीकोटा का युद्ध के साथ ही विजय नगर का वैभव समाप्त हो गया।
लसवाडी का युद्ध नवंबर 1803 ई. में अलवर के निकट हुआ था। इसमें सिंधिया व पेशवा की सम्मिलित सेना को अंग्रेजी सेनापति ने पराजित किया।
बिथोड़ा का युद्ध 8 सितंबर 1857 मारवाड़ के शासक तख्तसिंह के सेनापति एवं अंग्रेज अधिकारी हिथकोट की संयुक्त सेना ठाकुर कुशाल सिंह चंपावत के मध्य युद्ध हुआ। ठाकुर कुशाल सिंह चंपावत की विजय हुई।
चेलावास [ गोरा काला का युद्ध ] 18 सितंबर1857 को कुशाल सिंह व मारवाड़ के पोलिटिकल एजेंट मेकमैसन, एजेंट टू गवर्नर जनरल पैट्रिक लोरेन्स के मध्य युद्ध हुआ। कुशाल सिंह की विजय हुई।
विद्रोही द्वारा मेकमेसन की गर्दन काटकर आऊवा के किले के द्वार पर लटका दी गई।
पाल खेड़ा का युद्ध बाजीराव प्रथम व निजाम के मध्य हुआ। बाजीराव प्रथम की विजय हुई।
क्रिकी का युद्ध 1817 अंग्रेज व पेशवा बाजीराव द्वितीय के बीच हुआ एवं अंग्रेजों की विजय हुई।
इस प्रकार हमने भारतीय इतिहास के प्रमुख युद्धों के बारे में सारगर्भित जानकारी प्राप्त की है। भारत के प्रमुख युद्धों की लम्बी सूची है। अधिंकाश युद्ध राजस्थान के इतिहास में भी सम्मिलित हैं। जानकारी कैसी लगी कमेंट करके अवश्य बताएं।
1 टिप्पणी:
Nice fact
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